Tuesday, October 26, 2010

मेरा ईश्वर

मेरा और मेरे ईश्वर का जन्म एक साथ हुआ था।

हम घरौन्दे बनाते थे,
रेत में हम सुरंग बनाते थे।

वह मुझे धर्म बताता है,
उसकी बात मानता हूँ,
कभी कभी नहीं मानता हूँ।

भीड़ भरे इलाक़े में वह मेरी तावीज़ में सो जाता है,
पर अकेले में मुझे सम्भाल कर घर ले आता है।

मैं सोता हूँ,
रात भर वह जगता है।

उसके भरोसे ही मैं अब तक टिका हूँ, जीवन में तन कर खड़ा हूँ।

3 comments:

अभय तिवारी said...

बढ़िया है.. अब दर्शन और अध्यात्म छापो!
:)

अभय तिवारी said...
This comment has been removed by the author.
niraj sah said...

Soch raha hoon us taveez ke andar kitne kamre honge!